गुजरात के पवित्र तीर्थ स्थल अंबाजी (Ambaji) में पिछले 86 वर्षों से बिना भोजन और पानी के जीवन व्यतीत कर रहे 'चुंदड़ी वाले माताजी' (Chundadiwale Mataji) प्रह्लाद जानी(Prahlad Jani) का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनका निधन उनके गृहनगर(वतन) गांव चरादा में हुआ है। उन्हें 28 मई, गुरुवार को अंबाजी में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। पिछले 86 वर्षों से, चुंदड़ीवाले माताजी ने भोजन या पानी नहीं लिया था । उनके पार्थिव शरीर को दो दिनों के लिए अंबाजी में रखा जाएगा ताकि भक्तों को माताजी का अंतिम दर्शन हो सके।
यह माताजी विज्ञान के लिए एक बड़ी पहेली की तरह थे । उन्हें कई दिनों तक परखा गया। परीक्षण का हिस्सा रहे न्यूरो फिजिशियन डॉ. सुधीर शाह का यह भी मानना है कि माताजी का जीवन बहुत रहस्यमय था ।
उन्होंने अपने गृहनगर (वतन) गांव चरादा में 2.45 बजे अंतिम सांस ली। देर रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। विशेष रूप से, चुंदड़ीवाले माताजी ने 86 वर्षों से भोजन और पानी छोड़ दिया था। चुंदड़ीवाले माताजी के निधन से उनके भक्तों में गहरा शोक व्याप्त हो गया है। यह विज्ञान के लिए भी एक बड़ा रहस्य बन गया है।
प्रह्लादभाई जानी यानी चुंदड़ीवाले माताजी जो करोड़ों भक्तों द्वारा बहुत पूजनीय थे । माँ अम्बा के गब्बर(Gabbar) पर्वत के पास एक आश्रम में बसे चुंदड़ी वाले माताजी अपने भक्तों में योग साधना का उदाहरण थे I यह बताया गया है कि उन्होंने सात दशकों से अधिक समय तक भोजन या पानी का त्याग किया था। चुंदड़ीवाले माताजी ने देर रात 2:45 बजे अपने गृहनगर चरादा में अंतिम सांस ली। अब उनके पार्थिव शरीर का गुरुवार सुबह गब्बर के आश्रम में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
न केवल गुजरात में बल्कि पूरे देश और दुनिया में, चुंदड़ीवाले माताजी एक पहेली की तरह थे । क्योंकि 86 वर्षों से अधिक समय तक एक इंसान बिना भोजन और पानी के कैसे रह सकता था, यह सभी के लिए एक रहस्य था। इसलिए कुछ साल पहले, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation - DRDO) ने चुंदड़ीवाले माताजी पर भी शोध किया।
DRDO के शोध के पीछे तर्क यह था कि अंतरिक्ष मिशन में अंतरिक्ष यान के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन और पानी पर अधिक जोर दिया जाता है। यदि इस माताजी के डीएनए को किसी में प्रत्यारोपित किया जाता है, तो यह एक बड़ी सफलता मानी जाएगी। इसके लिए माताजी की निगरानी कैमरे से होती थी।
चुंदड़ीवाले माताजी के भोजन, पानी और मलमूत्र से पूरी तरह मुक्त होने का दावा कई बार चिकित्सा और वैज्ञानिक परीक्षणों में किया गया है। विशेषज्ञों की विशेष योग शक्ति के अनुसार चुंदड़ीवाले माताजी पर किए गए हर प्रयोग से केवल यही निष्कर्ष निकलता है कि उन्होंने भोजन और पानी का सेवन किए बिना 86 साल से अधिक समय बिताया था और उनकी उपलब्धि के पीछे का रहस्य था।
माताजी पर शोधकर्ता, न्यूरो फिजिशियन, डॉ. सुधीर शाह ने News18 गुजराती से इस बारे में बात की है।
जिसमें उन्होंने कहा, हमने माताजी प्रहलाद जानी का दो बार परीक्षण किया। एक बार 10 दिनों के लिए और फिर 15 दिनों के लिए किया है। जिसमें हमारे पास 24 डॉक्टरों की एक टीम मौजूद थी। वहां एक कमांडो टीम भी तैनात की गई थी। 24 घंटे की सीसीटीवी फुटेज भी चालू थी। परीक्षण के परिणामों से पता चला कि माताजी को इतने दिनों तक एयर रूम में रखा गया था जहाँ बाथरूम भी सील रखा गया था। पहले दस दिनों के लिए और फिर 15 दिनों तक उन्होंने खाना या पीना नहीं खाया। उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि वह पेशाब या शौच भी नहीं करते थे । इतने दिनों तक किसी व्यक्ति के खाने-पीने के बिना रहना संभव है, लेकिन पेशाब किए बिना किसी व्यक्ति की किडनी पांचवें दिन फैल हो जाती है। डायलिसिस कराना पड़ता है, अगर नहीं किया गया तो आदमी मर जाता है। इसलिए माताजी बायोट्रांसमिशन का मामला हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वह डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज की 32 वैज्ञानिकोकी टीम में डाॅ. अब्दुल कलाम के कहेनेसे शामिल थे। 2010 में परीक्षण इस समय के आसपास मई में आयोजित किया गया था।
इस पर गहन छानबीन की गई। उस समय की अंतिम खोज में कहा गया था कि माताजी ने जाँच के दौरान कुछ भी नहीं खाया या पिया नहीं था। उन्होंने कुल्ला करनेके अलावा पानी का इस्तेमाल नहीं किया।
बाथटब में दो बार नहाते हुए भी कुछ नहीं पाया गया । वैसे तो हमने दुनिया भर में परीक्षण किए लेकिन हमारे आश्चर्य के लिए माताजी सुपरहीरो निकलें । हैरानी की बात है कि वह अपने शरीर में जमा हुए सुबह और शाम के मूत्र को भी अवशोषित (absorb) कर सकते थे । यह एक बड़ी पहेली है। माताजी में शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति सब कुछ सही था। वे अपनी गुफा की सीढ़ियाँ फटाफट चढ शकते थे।
"हम अभी तक इस पहेली को हल नहीं कर पाए हैं," डॉक्टर ने कहा। हमारे परीक्षणों से पता चला कि हमने सभी प्रकार से कोशिश की लेकिन कोई भी इस पहेली को हल नहीं कर सका। दुनिया के सबसे बड़े संगठन इस मामले पर काम कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए गब्बर में रखा जाएगा। उन्हें गुरुवार को 28 तारीख को सुबह 8 बजे उनके आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। चुंदड़ीवाले माताजी के निधन से उनके भक्तों में शोक का माहौल है।
यह पता चला है कि उनके अंतिम दर्शन के लिए आने वाले सभी भक्त सोशल डिस्टन्सींग का पालन करेंगे । माताजी का स्वास्थ्य पिछले कई दिनों से बिगड़ रहा है। उन्हें मेडिकल जांच के लिए अहमदाबाद भी लाया गया था। उनके कोरोना वायरस के रिपोर्ट भी करवाये गये थे । जो निगेटिव आए थे ।
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